कुनो नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश में चीतों को पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक प्रयास किया गया है, जिसके तहत नामीबिया से कुछ चीतों को भारत लाया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य भारत में विलुप्त हो चुके एशियाई चीतों के स्थान पर अफ्रीकी चीतों को बसाना और उनकी आबादी को पुनर्जीवित करना है।
हालांकि, इस महत्वाकांक्षी परियोजना में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। चीतों के स्थानांतरण के बाद कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और परिस्थितिक कारणों के चलते कई चीतों की मौत हो चुकी है।
सितंबर 2024 तक : कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों के पुनर्वास कार्यक्रम के दौरान, मार्च 2023 में 4 शावकों का जन्म हुआ था। यह एक सकारात्मक संकेत था कि चीतों ने नई परिस्थितियों के साथ अनुकूलन किया। हालांकि, दुख की बात यह है कि गर्मी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इन चार में से तीन शावकों की मृत्यु हो गई थी।
सितंबर 2024 तक कुनो नेशनल पार्क में एक ही शावक जीवित है। वयस्क चीतों की संख्या में भी गिरावट आई है, क्योंकि कुछ चीतों की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में कुनो में चीतों की कुल संख्या, जिसमें वयस्क और शावक दोनों शामिल हैं, लगभग 25 के आस-पास है, हालांकि यह संख्या बदल सकती है क्योंकि उनका स्वास्थ्य और परिस्थितियाँ लगातार जांच के अधीन हैं।
1. अब तक लगभग कुछ चीतों की मृत्यु हो चुकी है। इन मौतों के कारणों में संक्रमण, गर्मी से उत्पन्न समस्याएं और प्राकृतिक कारण शामिल हैं।
2. कुछ चीतों के रेडियो कॉलर से संक्रमण होने की समस्या भी देखी गई है, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति प्रभावित हुई।
3. शेष चीतों की निगरानी की जा रही है और उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच की जा रही है। पार्क प्रशासन ने चीतों की सुरक्षा के लिए बेहतर उपायों की आवश्यकता पर बल दिया है।
इस परियोजना की सफलता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार और वन्यजीव संरक्षण विभाग इसे अभी भी सकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं और इसे लंबी अवधि की योजना के रूप में मान रहे हैं।
कुल मिलाकर, कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों की स्थिति मिश्रित है, लेकिन इसे एक महत्वपूर्ण संरक्षण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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