धैंचा (Sesbania aculeata) एक प्रमुख हरी खाद फसल है, जिसका उपयोग मृदा की उर्वरता बढ़ाने और भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए किया जाता है।
यह फसल विशेष रूप से धान, गन्ना और अन्य खरीफ फसलों की खेती में उपयोगी है। धैंचा हरी खाद के रूप में मृदा में जैविक पदार्थ और नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।
**धैंचा की विशेषताएँ**
धैंचा एक नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाली फसल है। इसकी जड़ें वातावरण से नाइट्रोजन को स्थिर करके मृदा में जमा करती हैं। इसके अलावा, इसकी त्वरित वृद्धि क्षमता और अधिक बायोमास उत्पादन इसे अन्य हरी खाद फसलों से अलग बनाता है। धैंचा को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, खासकर बालुई, दोमट और जलभराव वाली मिट्टी में।
**उगाने की विधि**
धैंचा को खरीफ फसल के पहले बोया जाता है। सामान्यत: इसे जून-जुलाई के महीने में बोया जाता है। धैंचा का बीज दर लगभग 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है। बीज को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोने से अंकुरण अच्छा होता है। इसे सीधी बुवाई के तरीके से 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोया जाता है।
**फसल की देखभाल**
धैंचा की फसल को अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए सामान्यतः सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अगर मौसम सूखा हो तो एक या दो बार हल्की सिंचाई की जा सकती है। फसल की बढ़वार के दौरान किसी प्रकार के रसायनिक उर्वरक या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती।
**कटाई और हरी खाद के रूप में उपयोग**
धैंचा की फसल 45-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसे फूल आने से पहले मिट्टी में पलट दिया जाता है ताकि यह अच्छी तरह से सड़ सके और मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ा सके। इसके साथ ही, धैंचा की हरी खाद मृदा की जल धारण क्षमता को भी बढ़ाती है और मृदा के भौतिक गुणों में सुधार करती है।
**धैंचा के लाभ**
1. **नाइट्रोजन की आपूर्ति**: धैंचा मृदा में जैविक नाइट्रोजन की पूर्ति करता है, जिससे फसलों की पैदावार में सुधार होता है।
2. **मृदा की संरचना में सुधार**: इसके हरी खाद के उपयोग से मृदा की भौतिक संरचना में सुधार होता है।
3. **जल धारण क्षमता**: मृदा की जल धारण क्षमता बढ़ती है, जिससे सूखा परिस्थितियों में भी फसल को लाभ होता है।
4. **जैविक खेती के लिए आदर्श**: यह जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है, क्योंकि इसमें रसायनों का उपयोग नहीं होता है।
5. **खरपतवार नियंत्रण**: धैंचा की तेज वृद्धि से खरपतवारों का नियंत्रण होता है और वे फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते।
निष्कर्ष : धैंचा एक महत्वपूर्ण हरी खाद फसल है, जिसका उपयोग कृषि में मृदा की उर्वरता बढ़ाने और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग न केवल फसल उत्पादन को बढ़ावा देता है, बल्कि मृदा की संरचना में भी सुधार करता है, जिससे दीर्घकालिक कृषि लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
0 Comments