पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की अवनि लेखरा ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (SH1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। #sports #viralnews #india #avanilakhera
अवनि ने इस प्रतियोगिता में 249.7 अंकों का स्कोर करके नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया, जो उनके ही द्वारा टोक्यो पैरालंपिक 2021 में बनाए गए 249.6 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ता है। इस जीत के साथ ही अवनि लगातार दो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।इस प्रतियोगिता में भारत की मोना अग्रवाल ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। दोनों खिलाड़ियों के इस अद्वितीय प्रदर्शन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
अवनि लेखरा का जीवन संघर्ष और साहस की मिसाल है।
11 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना में कमर के नीचे लकवा मारने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज वह भारत की सबसे सफल पैरालंपियन में से एक हैं
अवनि लेखरा का जीवन संघर्ष प्रेरणादायक और अदम्य साहस का उदाहरण है। उनका जीवन 11 साल की उम्र में एक भयानक कार दुर्घटना से पूरी तरह बदल गया। इस दुर्घटना में अवनि की रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोटें आईं, जिसके परिणामस्वरूप वह कमर के नीचे लकवाग्रस्त हो गईं। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में भी उन्होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया।
अवनि ने निशानेबाजी (शूटिंग) को अपनी ताकत बनाई और अपने पिता के प्रेरणा देने वाले शब्दों के साथ इस खेल में करियर बनाने का निर्णय लिया। वह धीरे-धीरे इस खेल में माहिर होती गईं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। उनके इसी संघर्ष और समर्पण का परिणाम था कि उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2021 में 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
अवनि का सफर सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में ही नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत के रूप में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल अपने शारीरिक और मानसिक संघर्षों को पार किया, बल्कि उन्होंने दिखाया कि किसी भी परिस्थिति में दृढ़ संकल्प और मेहनत से सफलता हासिल की जा सकती है। उनके इस साहस और सफलता ने उन्हें पूरे देश का गौरव बना दिया
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