भारत में अंग प्रत्यारोपण के लिए नई दिशा-निर्देश हाल ही में लागू किए गए हैं। ये दिशा-निर्देश अंग प्रत्यारोपण के लिए आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं:-watch video
उम्र सीमा हटाई गई: अब 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति भी अंग प्रत्यारोपण के लिए पात्र हो सकते हैं। पहले 65 वर्ष से ऊपर के मरीजों को अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण की अनुमति नहीं थी।
डोमिसाइल की आवश्यकता नहीं: अब किसी भी राज्य में अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराया जा सकता है। 'वन नेशन, वन पॉलिसी' के तहत अब किसी भी राज्य में पंजीकरण किया जा सकता है और वहीं पर अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया की जा सकती है।
पंजीकरण शुल्क में छूट: कुछ राज्यों में पंजीकरण के लिए शुल्क लिया जाता था, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने उन राज्यों से कहा है जो पंजीकरण के लिए शुल्क लेते थे कि वे ऐसा न करें।
इन परिवर्तनों का उद्देश्य अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को अधिक सुलभ और समान बनाने के लिए किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके
भारत में अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। यहाँ इसके प्रमुख चरणों का विवरण दिया गया है:
1. पंजीकरण (Registration)
- मरीज का पंजीकरण: मरीज को अपने नजदीकी अस्पताल या राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के तहत पंजीकरण कराना होता है।
- दस्तावेज़: पंजीकरण के लिए मरीज को आवश्यक दस्तावेज़, जैसे कि पहचान पत्र, मेडिकल रिपोर्ट, और अन्य संबंधित कागजात जमा करने होते हैं।
- प्रोसेसिंग: पंजीकरण के बाद मरीज को प्रतीक्षा सूची में शामिल किया जाता है, जिसे 'वेटलिस्ट' कहते हैं।
2. अंग उपलब्धता (Organ Availability)
- अंग दानकर्ता का चयन: जब किसी दानकर्ता के अंग उपलब्ध होते हैं, तो उन्हें प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों में से सबसे उपयुक्त व्यक्ति को देने के लिए चयनित किया जाता है।
- मैचिंग: दानकर्ता और प्राप्तकर्ता के ब्लड ग्रुप, टिशू मैचिंग, और अन्य मेडिकल पैरामीटर्स का मिलान किया जाता है ताकि प्रत्यारोपण सफल हो सके।
3. अंग प्रत्यारोपण की तैयारी (Pre-Transplant Preparation)
- चिकित्सा परीक्षण: प्राप्तकर्ता का पूर्ण चिकित्सा परीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह प्रत्यारोपण के लिए तैयार है।
- अस्पताल में भर्ती: अंग प्रत्यारोपण के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और सर्जरी की तैयारी शुरू की जाती है।
4. अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplantation)
- सर्जरी: एक प्रशिक्षित सर्जन द्वारा प्रत्यारोपण सर्जरी की जाती है, जिसमें दानकर्ता के अंग को प्राप्तकर्ता के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है।
- मॉनिटरिंग: सर्जरी के दौरान और बाद में मरीज की स्थिति की लगातार निगरानी की जाती है।
5. पोस्ट-ऑपरेटिव केयर (Post-Operative Care)
- अस्पताल में देखभाल: सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल में कुछ समय के लिए रखा जाता है ताकि उसकी स्थिति की निगरानी की जा सके और कोई भी जटिलता उत्पन्न न हो।
- मेडिकेशन और फॉलो-अप: मरीज को इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयाँ दी जाती हैं ताकि उसके शरीर में नया अंग स्वीकार हो सके। नियमित फॉलो-अप भी किया जाता है।
6. दीर्घकालिक देखभाल (Long-Term Care)
- जीवनशैली में बदलाव: मरीज को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है, जिसमें उचित आहार, नियमित व्यायाम, और नियमित मेडिकल चेकअप शामिल हैं।
- निगरानी: मरीज को जीवनभर डॉक्टर की निगरानी में रहना पड़ता है ताकि कोई भी समस्या तुरंत पकड़ी जा सके और उसका समाधान किया जा सके।
0 Comments