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चंपई सोरेन, जो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल #indianpolitics #jharkhandcm #champaisoren #jmm

 चंपई सोरेन, जो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता हैं, ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने का फैसला किया है। 


उन्होंने 28 अगस्त 2024 को इस बात की घोषणा की और कहा कि वह JMM की वर्तमान नेतृत्व से असंतुष्ट हैं और आदिवासी पहचान और अस्तित्व को बचाने के लिए BJP में शामिल हो रहे हैं, जो उन्हें संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ से खतरे में दिख रही है।


चंपई सोरेन ने बताया कि JMM अब अपने आदिवासी हितों से भटक गई है, जिसके कारण उन्हें पार्टी छोड़ने का कड़ा फैसला लेना पड़ा। उन्होंने BJP के नेतृत्व, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, पर विश्वास जताया और कहा कि केवल BJP ही आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए गंभीर है।

चंपई सोरेन ने JMM के नेतृत्व पर कड़ी आलोचना की और कहा कि पार्टी अब आदिवासी समुदायों के कल्याण के प्रति अपने मूल उद्देश्य से भटक गई है। उन्होंने BJP को एकमात्र ऐसी पार्टी बताया जो आदिवासियों के अस्तित्व की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और कहा कि यह मुद्दा केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक सामाजिक आंदोलन बनाया जाना चाहिए

चंपई सोरेन को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था जब हेमंत सोरेन को एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 31 जनवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया था। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को 2 फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री बनाया गया था।


हालांकि, चंपई सोरेन की यह भूमिका अस्थायी रही। जब हेमंत सोरेन को झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई, तो उन्होंने 4 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री का पद फिर से संभाल लिया, और इसके साथ ही चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। चंपई सोरेन ने इस घटनाक्रम को लेकर असंतोष व्यक्त किया और इसे अपमानजनक बताया, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ी। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में चल रही सभी सरकारी योजनाओं को अचानक बिना उनकी जानकारी के रद्द कर दिया गया था, जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ


यह घटनाएं चंपई सोरेन के BJP में शामिल होने के फैसले के पीछे का प्रमुख कारण बनीं, क्योंकि उन्हें लगा कि JMM अब आदिवासी समुदायों के हितों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है और पार्टी की आंतरिक राजनीति में उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा था।

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